सदुपदेश की संगति
जब आप
सदुपदेशों की संगति में रहते हैं, तो गुप्त रूप से अच्छाई में बदलते भी
रहते हैं, यह सूक्ष्म मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया स्थूल नेत्रों से दीखती नहीं
है, किंतु इसका प्रभाव तीव्र होता रहता है। अंततः मनुष्य उन्हीं के अनुसार
बदल जाता है।
-पं. श्रीराम शर्मा आचार्य,
आत्मज्ञान और आत्मकल्याण, पृ. १३
Good Company of Sermons
When you are exposed to sermons and
good thoughts, silently, internally, you keep on changing towards
nobility and humbleness. This is a psychological process working at
micro level, not visible through physical eyes, but having a profound
influence on our life style. Ultimately the man is molded accordingly.
-Pt. Shriram Sharma Acharya,
Aatmagyaan aur Atmakalyaan
(Self-realization and Self-benefit), Pg- 13
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