Wednesday, November 7, 2012



राग - द्वेष 

 प्रत्येक अपराधी अपने प्रति क्षमा की आशा करता है और दूसरों को दंड देने की व्यवस्था चाहता है। यह अपने प्रति जो दूसरों से अहिंसक, निर्भय, उदार, क्षमाशील, त्यागी, सत्यवादी और विनम्रता आदि दिव्य गुणों से पूर्ण व्यवहार की आशा करता है, किंतु स्वयं उसी प्रकार का सद्व्यवहार दूसरों के प्रति नहीं कर पाता। अपने प्रति मधुरता युक्त सम्मान की आशा करता है, पर दूसरों के प्रति अपमान एवं कटुतापूर्ण असद्व्यवहार करता है तो वास्तव में भूल है। इसका परिणाम यह होता है कि प्राणी अपने प्रति रागी और दूसरों के प्रति दोषी हो जाता है, जो सभी दुःखों का मूल है।

-पं. श्रीराम शर्मा आचार्य,
आत्मज्ञान और आत्मकल्याण, पृ. १५

Thursday, November 1, 2012

SADUPDESH




सदुपदेश की संगति

जब आप सदुपदेशों की संगति में रहते हैं, तो गुप्त रूप से अच्छाई में बदलते भी रहते हैं, यह सूक्ष्म मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया स्थूल नेत्रों से दीखती नहीं है, किंतु इसका प्रभाव तीव्र होता रहता है। अंततः मनुष्य उन्हीं के अनुसार बदल जाता है।

-पं. श्रीराम शर्मा आचार्य,              
आत्मज्ञान और आत्मकल्याण, पृ. १३  
Good Company of Sermons

When you are exposed to sermons and good thoughts, silently, internally, you keep on changing towards nobility and humbleness. This is a psychological process working at micro level, not visible through physical eyes, but having a profound influence on our life style. Ultimately the man is molded accordingly.

-Pt. Shriram Sharma Acharya,    
 Aatmagyaan aur Atmakalyaan  
(Self-realization and Self-benefit), Pg- 13

Monday, October 29, 2012

KHUSHI



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Saturday, October 27, 2012

APNI TAREEF KAREN



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Thursday, October 4, 2012

महापुरूषों का जीवन प्रकाश

आदमी मर जाता है, उसके साज-समान, महल, तिबारे टूट-फूटकर नष्ट हो जाते हैं, परंतु उसके जीवन का सार उपदेश और शिक्षाएँ वे अमर वस्तुएं हैं, जो युगों तक जीवित रहती हैं। इस पृथ्वी पर आज तक न जाने कितने व्यक्ति आए और मृत्यु को प्राप्त हुए, उनका नामोनिशान तक शेष नहीं बचा है, किंतु जिन विचारकों, तत्ववेत्ताओं और महापुरूषों ने अपने जीवन के अनुभव रखे हैं, वे आज भी मशाल की तरह हमें प्रकाश दे रहे हैं।

                              -पं. श्रीराम शर्मा आचार्य,
                  आत्मज्ञान और आत्मकल्याण, पृ.11
The Brilliance of Great Men

A man dies and all his belongings – material objects, households and gadgets get gradually destroyed. But the essence of his life, his speeches and teachings are immortal which keep on existing for ages to come. Countless people came to the world and vanished without even leaving a trace behind, but those thinkers and great philosophers who expressed their thoughts of high moral are, like a torch, illuminating our lives even today.



           -Pt. Shri Ram Sharma Aacharya, 
             Aatmagyaan aur Atmakalyaan 
 (Self-realization and Self-benefit), Pg. 11

Sunday, September 30, 2012

SELFLESS SERVICE

निष्काम लोकसेवा ही पूजा


 निष्काम सेवा करने से आप अपने हृदय को पवित्र बना लेते हैं। अहंभाव, घृणा, ईर्ष्या, श्रेष्ठता का भाव और इसी प्रकार के और सब आसुरी संपत्ति के गुण नष्ट हो जाते हैं। नम्रता, शुद्ध, प्रेम, सहानुभूति, क्षमा, दया आदि की वृद्धि होती है। भेदभाव मिटजाते हैं। स्वार्थपरता निर्मूल हो जाती है। आपका जीवन विस्तृत तथा उदार हो जाएगा। आप एकता का अनुभव करने लगेंगे।आप अत्यधिक आनंद का अनुभव करने लगेंगे। अंत में आपको आत्मज्ञान प्राप्त हो जाएगा। आप सब में 'एक' और 'एक' में ही सबका अनुभव करने लगेंगे। संसार कुछ भी नहीं है केवल ईश्वर की ही विभूति है। लोकसेवा ही ईश्वर की सेवा है। सेवा को ही पूजा कहते है।

Selfless Service is the only worship 


 Our heart is sanctified by selfless service. Ego, hatred, jealousy, superiority complex, and many such vicious feelings are destroyed. Humility, pure love, compassion, forgiveness, mercy and such virtues are developed. Prejudice and inequality vanish. Selfishness gets uprooted. The life becomes fulfilled and generous. You will feel united with consciousness and start enjoying the bliss. Ultimately you will attain self-realization and will start seeing one and the same consciousness prevailing in all. The world is nothing but only a manifestation of the Almighty God. Service to mankind is the service to God, and this is considered as nothing but worship only.

                -Pt. Shri Ram Sharma Aacharya,

                  Aatmagyaan aur Aatmakalyaan 

    (Self-realization and Self-benefit),Pg 7"

 


Thursday, September 27, 2012

EK GLASS DOODH

एक गिलास दूध

एक बार एक लड़का अपने स्कूल की फीस भरने के लिए एक दरवाजे से दूसरे दरवाजे तक कुछ सामान बेचा करता था, एक दिन उसका कोई सामान नहीं बिका और उसे बड़े जोर से भूख भी लग रही थी. उसने तय किया कि अब वह जिस भी दरवाजे पर जायेगा, उससे खाना मांग लेगा. दरवाजा खटखटाते ही एक लड़की ने दरवाजाखोला, जिसे देखकर वह घबरा गया और बजाय खाने के उस...ने पानी का एक गिलास पानी माँगा.लड़की ने भांप लिया था कि वह भूखा है, इसलिए वह एक........बड़ा गिलास दूध का ले आई. लड़के ने धीरे-धीरे दूध पी लिया." कितने पैसे दूं?" लड़के ने पूछा." पैसे किस बात के?" लड़की ने जवाव मेंकहा." माँ ने मुझे सिखाया है कि जब भी किसी पर दया करो तो उसके पैसे नहीं लेने चाहिए." तो फिर मैं आपको दिल से धन्यबाद देताहूँ. "जैसे ही उस लड़के ने वह घर छोड़ा, उसे न केवल शारीरिक तौर पर शक्ति मिल चुकी थी , बल्कि उसका भगवान् और आदमी पर भरोसा और भी बढ़ गया था.
 
सालों बाद वह लड़की गंभीर रूप से बीमार पड़ गयी. लोकल डॉक्टर ने उसे शहरके बड़े अस्पताल में इलाज के लिए भेज दिया. विशेषज्ञ डॉक्टर होवार्ड केल्ली को मरीज देखने के लिए बुलाया गया. जैसे ही उसने लड़की के कस्वे का नाम सुना, उसकी आँखों में चमक आ गयी. वह एकदम सीट से उठा और उस लड़की के कमरे में गया. उसने उस लड़की को देखा, एकदम पहचान लिया और तय कर लिया कि वह उसकी जान बचाने के लिए जमीन-आसमान एक कर देगा..उसकी मेहनत और लग्न रंग लायी और उस लड़की कि जान बच गयी. डॉक्टर ने अस्पताल के ऑफिस में जा कर उस लड़की के इलाज का बिल लिया. उस बिल के कौने में एक नोट लिखा और उसे उस लड़की के पास भिजवा दिया लड़की बिल का लिफाफा देखकर घबरा गयी, उसे मालूम था कि वह बीमारी से तो वह बचगयी है लेकिन बिल कि रकम जरूर उसकी जान ले लेगी. फिर भी उसने धीरे से बिल खोला, रकम को देखा और फिर अचानक उसकी नज़र बिल के कौने में पेन से लिखे नोट पर गयी, जहाँ लिखा था, "एक गिलास दूध द्वारा इस बिल का भुगतान किया जा चुकाहै." नीचे डॉक्टर होवार्ड केल्ली के हस्ताक्षर थे. ख़ुशी और अचम्भे से उस लड़की के गालोंपर आंसू टपक पड़े उसने ऊपर कि और दोनों हाथ उठा कर कहा," हे भगवान! आपकाबहुत-बहुत धन्यवाद, आपका प्यार इंसानों के दिलों और हाथों द्वारा न जाने कहाँ- कहाँ फैल चुका है.

Source: http://www.maanavta.com/short-motivational-hindi-stories/