निष्काम लोकसेवा ही पूजा
निष्काम
सेवा करने से आप अपने हृदय को पवित्र बना लेते हैं। अहंभाव, घृणा,
ईर्ष्या, श्रेष्ठता का भाव और इसी प्रकार के और सब आसुरी संपत्ति के गुण
नष्ट हो जाते हैं। नम्रता, शुद्ध, प्रेम, सहानुभूति, क्षमा, दया आदि की
वृद्धि होती है। भेदभाव मिटजाते हैं। स्वार्थपरता निर्मूल हो जाती है। आपका
जीवन विस्तृत तथा उदार हो जाएगा। आप एकता का अनुभव करने लगेंगे।आप अत्यधिक
आनंद का अनुभव करने लगेंगे। अंत में आपको आत्मज्ञान प्राप्त हो जाएगा। आप
सब में 'एक' और 'एक' में ही
सबका अनुभव करने लगेंगे। संसार कुछ भी नहीं है केवल ईश्वर की ही विभूति
है। लोकसेवा ही ईश्वर की सेवा है। सेवा को ही पूजा कहते है।
Selfless Service is the only worship
Our
heart is sanctified by selfless service. Ego, hatred, jealousy,
superiority complex, and many such vicious feelings are destroyed.
Humility, pure love, compassion, forgiveness, mercy and such virtues are
developed. Prejudice and inequality
vanish. Selfishness gets uprooted. The life becomes fulfilled and
generous. You will feel united with consciousness and start enjoying the
bliss. Ultimately you will attain self-realization and will start
seeing one and the same consciousness prevailing in all. The world is
nothing but only a manifestation of the Almighty God. Service to mankind
is the service to God, and this is considered as nothing but worship
only.
-Pt. Shri Ram Sharma Aacharya,
Aatmagyaan aur Aatmakalyaan
(Self-realization and Self-benefit),Pg 7"